जो पिघल जाए पत्थर कोई,
इन आँखों में कुछ बात है,
हौले से आ जाओ बाहों में,
यह घनिष्ठ बरसात की रात है।
बह रही प्रचंड हवा,
चेहरे पर घने काले बाल हैं,
अनजान हैं हम एक-दूसरे से,
बस यही दिल में एक मलाल है।
इस सौंदर्य की क्या व्याख्या करें,
जिसके लिए शब्दकोश भी खाली है,
गुलाब की शोभा फीकी लगे,
खिले जब तुम्हारे मुस्कान की लाली है।
कानों में रास घोलती,
मेघ-मल्हार सी वाणी है,
शाख पर बैठी, टुक-टुक सुनती,
कोयल भी तुम्हारी दीवानी है।
जिस कागज़ पर कभी कुछ न लिखा,
उस पर आज यह कलम भी तुम्हारी अनुरागी है,
प्रेम-गीत है लिख डाला,
आज इस चित्त में प्रेम-ज्योत जो जागी है।
इन आँखों में कुछ बात है,
हौले से आ जाओ बाहों में,
यह घनिष्ठ बरसात की रात है।
बह रही प्रचंड हवा,
चेहरे पर घने काले बाल हैं,
अनजान हैं हम एक-दूसरे से,
बस यही दिल में एक मलाल है।
इस सौंदर्य की क्या व्याख्या करें,
जिसके लिए शब्दकोश भी खाली है,
गुलाब की शोभा फीकी लगे,
खिले जब तुम्हारे मुस्कान की लाली है।
कानों में रास घोलती,
मेघ-मल्हार सी वाणी है,
शाख पर बैठी, टुक-टुक सुनती,
कोयल भी तुम्हारी दीवानी है।
जिस कागज़ पर कभी कुछ न लिखा,
उस पर आज यह कलम भी तुम्हारी अनुरागी है,
प्रेम-गीत है लिख डाला,
आज इस चित्त में प्रेम-ज्योत जो जागी है।